

श्रावस्ती जिले में बार-बार निर्देश देने के बावजूद भी संस्थागत प्रसव कराने वाली महिलाओं को अस्पतालों में 48 घण्टें नही रोका जा रहा है। जिससे जच्चा और बच्चा को स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना संभावना प्रबल हो रही है। अब इस परिपाटी को हरहाल में प्रभारी चिकित्साधिकारियों को बदलना होगा। और साथ ही प्रसव के बाद हर जच्चा बच्चा को अस्पताल में ही रोक कर उन्हे पौष्टिक आहार के साथ-साथ बेहतर ढंग से देखभाल करना भी सुनिश्चित करें।
इसके साथ ही यह भी ध्यान रखें कि बच्चे को माॅ का पहला पीला गाढ़ा दूध जरूर पिलाये। जो बच्चे को खतरनाक बीमारियों से बचाता है। समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों का जन्म हो जाता है इस दौरान यदि बच्चे का वजन औसतन से कम है तो उसको तुरन्त के0एम0सी0 (कंगारू मदर केयर) में भर्ती करें। इसमें अब किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नही होगी, निरीक्षणों के दौरान यदि इस प्रकार का कृत्य संज्ञान में आता है तो सम्बन्धित प्रभारी चिकित्साधिकारियों के साथ-साथ उनके अधीनस्थ चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवायी सुनिश्चित होगी।
यह निर्देश मंगलवार देर शांयकाल कैम्प कार्यालय सभागार में आयोजित जिला स्वास्थ्य समिति बैठक की अध्यक्षता करते हुये जिलाधिकारी ओ0पी0 आर्य ने सभी चिकित्साधिकारियों को दिया है। उन्होने कहा कि जिले में नवजात शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं के जागरूकता के अभाव में समय से टीकाकरण और इलाज न कराने पर उनकी मृत्यु हो जाती है, जो चिन्ता का विषय है यही कारण है कि इस जिले में नवजात शिशुओं, गर्भवती महिलाओं एवं प्रसूताओं की मृत्यु दर अधिक है।
हम सभी लोगों का दायित्व बनता है कि बेहतर ढंग से डोर-टू-डोर मानीटरिंग करके हर नवजात शिशुओं, गर्भवती महिलाओं को सूचीबद्ध करें और समय से उन्हे सरकार द्वारा प्रदत्त स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करावें ताकि उन्हे स्वस्थ्य रखा जा सके। जिलाधिकारी ने कहा कि चिकित्सकों/पैरामेडिकल स्टाफ का दायित्व बनता है। मरीजों का बेहतर ढंग से उनका स्वास्थ्य परीक्षण करके सरकार द्वारा प्रदत्त सभी स्वास्थ्य सुविधाओं को निःशुल्क मुहैया कराया जाये।
इसके साथ ही सभी दवायें अस्पतालों से ही प्रदान की जाये, ताकि मरीजों को इधर-उधर भटकना न पड़े। उन्होने सभी प्रभारी चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिया कि कुपोषित/अतिकुपोषित बच्चों का चिन्हाकंन करके उनको जिला अस्पताल में स्थापित पोषण पुनर्वास केन्द्र में भिजवाना सुनिश्चित करें। जिलाधिकारी ने कहा कि 05 वर्ष से कम व गम्भीर रूप से कुषोपित बच्चों को चिकित्सीय सुविधाएं प्रदान की जाती है जिससे वह बच्चा सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है। इसके साथ ही उन्होने गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की समय-समय पर जांच और उन्हे स्वस्थ्य रखने हेतु बेहतर ढंग से देखभाल किया जाये। जिले की कोई भी महिला गर्भावस्था के दौरान या प्रसव के बाद उसकी मृत्यु न होने पाये।
वही जिलाधिकारी ने प्रतिरक्षण कार्यक्रम, परिवार नियोजन, राष्ट्रीय अन्धता निवारण, कुष्ट उन्मूलन कार्यक्रम सहित स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित अन्य योजनाओं की भी गहन समीक्षा की है। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी अवनीश राय, मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 वी0के0 सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला पंचायतराज अधिकारी प्रतिनिधि हरिगेन्द्र वर्मा, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ओमकार राणा, ए0सी0एम0ओ0 डा0 मुकेश मातन हेलिया, प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी सहित सभी प्रभारी चिकित्साधिकारीगण उपस्थित रहे है।
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