भारतीय क्रिकेट का सबसे बड़ा नाम अब रिटायर हो गया है. कैप्टन कूल याने एमएसडी अब नीली जर्सी में नहीं दिखेंगे. वैसे किसी भी टीम के कप्तान का प्रमुख काम ये होता है कि टीम के युवा खिलाड़ियों से उनका सर्वोच्च प्रदर्शन अन्तराष्ट्रीय स्तर पर दिखाने में पूरी मदद करे. एमएस धोनी ने ऐसे कई युवा खिलाडियों के साथ किया है, जिसके बाद ये खिलाड़ी चमक उठे. इस लेख में हम 5 ऐसे खिलाड़ियों के बारे में जानेगे, जिन्हें खराब प्रदर्शन के बाद भी धोनी ने बतौर कप्तान सपोर्ट किया.
1) रोहित शर्मा
रोहित शर्मा अपने करियर के शुरुआती दौर में कंसिस्टेंट नहीं थे. मध्यक्रम में नंबर 5-6 पर बल्लेबाजी के बाद वह लगातार टीम से अंदर-बाहर होते रहे. लेकिन तत्कालीन कप्तान धोनी को उनके काफी भरोसा था. वनडे टीम में खराब फॉर्म के कारण गंभीर और सहवाग के जगह गवाने के बाद धोनी ने आईसीसी चैंपियन ट्रॉफी 2013 में रोहित को बतौर ओपनर मौका दिया, जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
2) रवीन्द्र जडेजा
रवीन्द्र जडेजा ने वाइट बॉल क्रिकेट में अपनी गेंदबाजी से हमेशा प्रभावित किया है लेकिन उनकी बल्लेबाजी पर लगातार सवालियां निशान लगते रहे. लेकिन धोनी ने उनपर भरोसा दिखाया और उन्हें टीम में नियामित बाएं हाथ स्पिनर की भूमिका दी. जिसके कारण उन पर से ऑलराउंड प्रदर्शन करने का दवाब कम हुआ. जिसके कारण गेंदबाजी के साथ-साथ उन्होंने बल्लेबाजी में भी दम दिखाया.
3) ईशांत शर्मा
ईशांत शर्मा वर्तमान में भारत के सबसे अनुभवी टेस्ट तेज गेंदबाज हैं. लेकिन ऐसा समय ऐसा भी था जब वह टीम में अपनी जगह के साथ न्याय नहीं कर रहे थे. लेकिन धोनी ने हमेशा उन पर भरोसा दिखाया और लगातार उन्हें टेस्ट टीम में जगह दी. धोनी की कप्तानी में शर्मा ने कई यादगार स्पेल भी डाले हैं.
4) सुरेश रैना
सुरेश रैना धोनी की कप्तानी में काफी कंसिस्टेंट रहे हैं. लेकिन धोनी के कप्तानी छोड़ने की बाद उन्हें कुछ ही खराब मैचों के बाद उन्हे टीम से बाहर कर दिया गया. धोनी ने कप्तान बनने के तुरंत बाद ही रैना की कबिलियत को पहचाना था और उन्हें लगातार मौके दिए थे. लेकिन धोनी के कप्तानी छोड़ते ही रैना भी टीम में जगह खो दिए. शायद यही वजह है कि धोनी के साथ ही रैना ने भी रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया है.
5) शिखर धवन
डेब्यू के बाद से शिखर धवन वाइट बॉल क्रिकेट में काफी कंसिस्टेंट रहे हैं. लेकिन टेस्ट में उन्हें कठिन दौर से गुजरना पडा हैं. उन्होंने टेस्ट में शानदार 187 रनों की पारी खेलकर डेब्यू किया था लेकिन उनका प्रदर्शन कंसिस्टेंट नहीं रहा. धोनी के कप्तानी के दौरान वह हमेशा ओपनर के रूप में पहली पसंद रहे लेकिन उनकी कप्तानी छोड़ने के बाद उनकी जगह निश्चित नहीं रही हैं.
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